कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का पहले अमेठी, रायबरेली में कार्यक्रम, अयोध्या में रोड शो और हनुमानगढ़ी पर माथा टेकना विपक्ष की चिंता बढ़ाने के लिए काफी रहा। इसे प्रियंका का आम लोगों से ह्यकनेक्टह्ण और बहुत ही सधे अंदाज में भाजपा के हिंदुत्व को निशाने पर लेना है, जो विपक्ष खासतौर पर भाजपा को फिक्रमंद किए है।
शायद यही वजह है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने अयोध्या में उनकी सक्रियता पर पलटवार करने में जरा भी विलंब नहीं किया। प्रियंका तीन दिन के अमेठी, रायबरेली और अयोध्या के दौरे पर हैं। आखिरी दिन अयोध्या में जिस तरह उनकी नुक्कड़ सभाएं तय की गईं, छोटी-छोटी जनसभाएं हुईं और उनमें आसपास के गांवों से भीड़ उमड़ी, वह कांग्रेस को इस इलाके में फिर से पुनर्जीवित करने के नजरिये से काफी महत्वपूर्ण कही जाएंगी। अगर कहें कि अयोध्या कांग्रेस का गढ़ भी रहा है तो गलत न होगा।
आजादी के बाद से कांग्रेस फैजाबाद संसदीय सीट (अब अयोध्या) से आठ बार जीती।वर्ष 2014 में हालांकि कांग्रेस के निर्मल खत्री चौथे स्थान पर रहे थे, लेकिन उन्हें सवा लाख वोट मिले थे। निर्मल इस बार फिर अयोध्या से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस ने प्रियंका का दौरा निर्मल को मजबूती देने के लिए तो आयोजित किया है। यही वजह रही कि उन्होंने आदिलपुर में हुई जनसभा में निर्मल खत्री को वोट करने की अपील की बल्कि अयोध्या दौरे के बहाने कांग्रेस को भाजपा के हिन्दू कार्ड पर हमला करने का मौका भी मिल गया। प्रियंका जिस तरह रास्ते में कार से बार-बार उतरती रहीं, महिलाओं को गले लगाया, बुजुर्गों से करीब जाकर हालचाल पूछा और केंद्र सरकार को नकारा बताते हुए हमला बोलना ही भाजपा के लिए चिंता का सबब बन रहा है।
ऐसा नहीं है कि कांग्रेस परिवार से जुड़ा कोई बड़ा नेता पहली बार अयोध्या आया। जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और खुद राहुल गांधी समय समय पर अयोध्या आते रहे हैं। राहुल भी अयोध्या में हनुमानगढ़ी पर माथा टेक चुके हैं। 1989 में शिलान्यास के दौरान तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री बूटा सिंह मौजूद रहे थे। प्रियंका ने भी हनुमानगढ़ी पर माथा टेक कर न केवल संकेतों में ही सही भाजपा के हार्ड कोर हिन्दुत्व कार्ड को कहीं न कहीं निशाने पर लिया। सियासी धुरंधर मानते हैं कि कांग्रेस इसके जरिए अपने ‘सॉफ्ट हिन्दुत्व’ के एजेंड को भी सिद्ध करने में कामयाब हो तो आश्चर्य नहीं।